राजस्थान में गहराता जा रहा है सियासी संकट, HC में दायर हुई गहलोत और पायलट खेमे के वेतन रोकने की अर्जी !
राजस्थान में गहराता जा रहा है सियासी संकट, HC में दायर हुई गहलोत और पायलट खेमे के वेतन रोकने की अर्जी !:
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राजस्थान में सियासी उठापटक का शुक्रवार को 22 वां दिन है। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थित कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट कर दिया है।
जयपुर। राजस्थान में 20 से अधिक दिनों से जारी सियासी संग्राम थमने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। विधायकों की खरीद-फरोख्त का जिन्न एक बार फिर गुरुवार (29 जुलाई) को बाहर आ गया है। गहलोत सरकार गिराने के आरोप झेल रहे सचिन पायलट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार फिर खुलकर जुबानी हमला बोल चुके है।
इसी बीच सूत्रों के मुताबिक अब HC में अर्जी दाखिल हुई है। इस अर्जी में गहलोत और पायलट खेमे के वेतन रोकने की मांग की गई है। इस अर्जी के याचिकाकर्ता का तर्क है कि विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में नहीं जा रहे हैं, ऐसे में जब विधायी कार्य नहीं हो रहे तो उन्हें वेतन क्यों दिया जाए।
गौरतलब है कि राजस्थान में सियासी उठापटक का शुक्रवार को 22 वां दिन है। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थित कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट कर दिया है। विधायकों को तीन विशेष विमानों से जैसलमेर भेजा गया है। इससे पहले जैसलमेर जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने होटल में व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
विधायकों को पांच सितारा होटल सूर्यगढ़ में ठहराया गया है। होटल के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। विधायक 14 अगस्त को शुरू होने वाले विधानसभा सत्र तक वहीं रहेंगे। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्री जयपुर आते- जाते रहेंगे। इससे पहले सभी विधायक 13 जुलाई से जयपुर के फेयर माउंट होटल में रुके हुए थे। सूत्रों के अनुसार कुछ मंत्री और विधायक जैसलमेर नहीं पहुंचे, माना जा रहा है कि यह कल तक पहुंच जाएंगे।
सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने शुक्रवार को राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। दरअसल पूर्व उप मुख्यमंत्री पायलट समेत कांग्रेस के 19 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के नोटिस के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस पर न्यायालय ने यथास्थिति के आदेश दिए थे। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष भी न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर चुके हैं।
विधायकों की खरीद-फरोख्त के कथित वायरल ऑडियो टेप के मामले की जांच को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम शुक्रवार को हरियाणा के मानेसर स्थित होटल आईटीसी ग्रैंड और होटल वेस्टर्न पहुंची। लेकिन टीम को यहां विधायक नहीं मिले। इससे पहले करीब 15 दिन से एसओजी की दो टीमें विधायकों की तलाश में हरियाणा, दिल्ली और नोएडा में खाक छान रही है। एसीबी ने ऑडियो टेप में मामले में विधायक भंवरलाल शर्मा व विश्वेन्द्र सिंह की नोटिस जारी किया था। लेकिन दोनों विधायकों ने पूछताछ के लिए समय नहीं दिया। कथित खरीद फरोख्त मामले में गिरफ्तार आरोपित संजय जैन से अब एसीबी भी पूछताछ करेगी। इसके लिए एसीबी ने शुक्रवार को कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र देकर जैन का प्रोडक्शन वारंट मांगा है। फिलहाल संजय जैन न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद है। वहीं संजय जैन ने जांच एजेंसियों को अपने वाइस सैम्पल देने से मना कर दिया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने एक दूसरे पर जमकर हमला बोला है। गहलोत ने कहा है कि 14 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाए जाने का राज्यपाल का आदेश जैसे ही जारी हुआ, वैसे ही हमारे विधायकों को ना जाने कहां-कहां से टेलीफोन आने लग गए। उन्हें खुद को, उनके परिवार वालों को, उनके मिलने वालों को धमकी और दबाव भरे फोन आ रहे हैं। ऐसा माहौल बनाकर विधायकों और उनके परिजनों को मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं। सत्र बुलाए जाने का आदेश आने के बाद लिमिट खत्म हो गई है, अब पूछ रहे हैं कि आप बताओ क्या चाहते हो। उन्होंने कहा कि इस मुल्क में यह क्या हो रहा है। देश में डेमोक्रेसी की हत्या हो रही हैं। हर नागरिक का कर्तव्य है कि देश में प्रजातंत्र को बचाए रखे। जिस मुल्क में यह हॉर्स ट्रेडिंग हो रही हो उस मुल्क का क्या होगा। ऐसे में मजबूरन हमें विधायकों को शिफ्ट करना पड़ा।
भाजपा प्रदेश डॉ. पूनियां ने कहा कि जैसलमेर से आगे विधायकों को कहां ले जायेंगे, आगे पाकिस्तान आ जाता है, दूसरी तरफ गुजरात है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बात तो करते हैं लोकतंत्र की, नैतिकता की, संविधान की, 2008 और 2018 में बसपा एवं छोटे दलों की बैसाखी के सहारे उन्होंने मैंडेट हासिल किया और किसी ना किसी तरीके से इन विधायकों को मैनेज किया होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से विधायकों को बाड़ाबंदी में रखा जा रहा है, पूरा प्रदेश और देश देख रहा है। मुख्यमंत्री धमकियां दे रहे हैं, मुकदमे लगवा रहे हैं, बात लोकतंत्र की कर रहे हैं और तानाशाही उनके खुद के दिमाग में है, गवर्नेंस के नाम पर जीरो हैं। मुख्यमंत्री के इस आचरण से कांग्रेस की तीसरी पीढ़ी विशेषकर युवा नेतृत्व उपेक्षित हो रहा है। उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत की जिद से उनकी सरकार एवं पार्टी पर संकट है, इनके लोग एक्सपोज हो चुके हैं, ऐसे में स्पीकर की निष्पक्षता बची थी, उसको भी इन्होंने तार-तार करवा दिया, जिसके बारे में पूरा प्रदेश अच्छे से जान चुका है।
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