मनमोहन सिंह ने वाजपेयी को बताया था ‘मौजूदा राजनीति का भीष्म पितामह’:
via http://www.sanjeevnitoday.com/
'नई दिल्ली। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने 93 वर्ष की आयु में 16 अगस्त को दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। देश में सात दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है। बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी के काम से प्रभावित होकर डा. मनमोहन सिंह ने उनको भीष्म पितामह बताया था।
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'नई दिल्ली। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने 93 वर्ष की आयु में 16 अगस्त को दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। देश में सात दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है। बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी के काम से प्रभावित होकर डा. मनमोहन सिंह ने उनको भीष्म पितामह बताया था।
2005 में जब वाजपेयी जी ने राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की थी, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने ही उन्हें ‘मौजूदा राजनीति का भीष्म पितामह’ की संज्ञा दी थी। अटल जी एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने अपने जीवन का हर पल राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। भारतीय राजनीति की महान विभूति रहे अटल जी का विराट व स्नेहिल व्यक्तित्व, विलक्षण नेतृत्व, दूरदर्शिता तथा अद्भुत भाषण देने का सामर्थ्य उन्हें एक विशाल व्यक्तित्व प्रदान करते थे। सही मायने में अटल जी का अवसान ‘अटल युग’ का अवसान है।
बतौर प्रधानमंत्री उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से था 1 मई 1998 को राजस्थान के पोरखण में किया गया परमाणु बम परीक्षण, जिससे देश समूची दुनिया में एक प्रमुख परमाणु शक्ति सम्पन्न देश के रूप में उभरा। उन्होंने अपनी कुशल भाषण कला शैली से राजनीति के शुरूआती दिनों में ही ऐसा रंग जमा दिया था कि हर कोई उनके भाषणों का कायल हो जाता था। कहा जाता है कि उनके भाषण इतने प्रभावशाली होते थे, जिन्हें सुनने विरोधी भी चुपके से उनकी सभाओं में जाते थे।
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पूर्व लोकसभा अध्यक्ष अनंतशयनम अयंगार ने एक बार कहा था कि हिन्दी में अटल बिहारी वाजपेयी से अच्छा वक्ता कोई नहीं है। यह भी कहा जाता रहा है कि स्वयं नेहरू वाजपेयी द्वारा उठाए गए मुद्दों को बहुत ध्यान से सुना करते थे।
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