नई दिल्ली। न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर के आज सेवानिवृत्त होने के बाद उच्चतम न्यायालय की कोलेजियम का स्वरूप बदल जायेगा। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर के सेवानिवृत्त होने के बाद प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कोलेजियम में न्यायमूर्ति ए के सीकरी शामिल हो जायेंगे। कोलेजियम के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शामिल है।
कोलेजियम के सदस्य न्यायमूर्ति चेलमेश्वर के सेवानिवृत्त होने और इसमें न्यायमूर्ति सीकरी के शामिल होने के बाद न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम पर नये सिरे से पुनर्विचार की आवश्यकता हो सकती है। केन्द्र ने 26 अप्रैल को न्यायमूर्ति के एम जोसेफ को पदोन्नति देने संबंधी सिफारिश की फाइल पुनर्विचार के लिये कोलेजियम को यह कहते हुये लौटा दी थी कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मानदंडों के अनुरूप नहीं है।
न्यायमूर्ति चेलमेश्वर के बाद प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा दो अक्टूबर के सेवानिवृत्त होंगे। इसके बाद नवंबर में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और दिसंबर में न्यायमूर्ति लोकूर सेवानिवृत्त होंगे।
चार जजों ने CJI पर खड़े किए थे सवाल
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, एम.बी लोकुर और कुरियन जोसेफ के साथ मिलकर चेलमेश्वर ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी.एच लोया की रहस्यमय मौत के मामले पर सवाल उठाए थे। बता दें कि जस्टिस लोया की मौत एक दिसंबर 2014 को हुई थी। उन्होंने कहा था कि 'जब तक इस संस्थान (सुप्रीम कोर्ट) को संरक्षित नहीं किया जाता और जब तक यह अपना संतुलन नहीं बना सकता है।
कई अहम फैसलों में रहे शामिल
जस्टिस चेलमेश्वर शनिवार को 65 वर्ष के हो जाएंगे। वह नौ न्यायाधीशों की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था। वह न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्ति से संबंधित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को निरस्त किया था। हालांकि चेलमेश्वर पीठ से अलग फैसला देने वाले एकमात्र न्यायाधीश थे।
चेलमेश्वर सूचना प्रौद्योगिकी कानून की विवादित धारा 66 ए को निरस्त करने वाली पीठ में भी शामिल थे। यह धारा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को वेब पर आपत्तिजनक सामग्री डालने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देती थी। एक असामान्य कदम के तहत न्यायमूर्ति चेलमेश्चर ने विदाई समारोह में भाग लेने के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का न्यौता ठुकरा दिया था। हालांकि वह परंपरा का पालन करते हुए गर्मियों की छुट्टियों से पहले अपने अंतिम कार्यदिवस (वर्किंग डे) 18 मई को सीजेआई मिश्रा के साथ पीठ में बैठे थे।
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गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में 23 जून 1953 को जन्मे चेलमेश्वर की शुरुआती पढ़ाई कृष्णा जिले के मछलीपत्तनम के हिंदू हाईस्कूल से हुई और उन्होंने ग्रेजुएशन चेन्नई के लोयोला कॉलेज से फिजिक्स में किया। उन्होंने कानून की डिग्री 1976 में विशाखापट्टनम के आंध्र विश्वविद्यालय से ली। वह तीन मई 2007 को गौहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे और बाद में केरल हाईकोर्ट में ट्रांसफर हुआ। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर 10 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे।
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